Maharashtra Geet, Bahu asot sundar |
Maharashtra Geet, Bahu asot sundar |
nahar |
Aug 31 2009, 05:13 PM
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Member Group: Members Posts: 48 Joined: 22-January 07 Member No.: 9863 |
Song Title: Bahut asot sundar sampann ki maha
Music: Hridayanatah Mangeshkar/ Anandghan (?) Lyric: श्रीपादकृष्ण कोल्हटकर Album : Saadhi Manase Singers: Lata, Usha # Hridayanath Mangeshkar File Size: 1.85Mb (zip file) bitrate: 128Kbps Time: 2.01M QUOTE Lyric: बहु असोत सुंदर संपन्न की महा प्रिय अमुचा एक महाराष्ट्र देश हा गगनभेदि गिरिविण अणु नच जिथे उणे आकांक्षांपुढति जिथे गगन ठेंगणे अटकेवरि जेथील तुरंगि जल पिणे तेथ अडे काय जलाशय नदाविणे पौरुषासि अटक गमे जेथ दु:सहा प्रासाद कशास जेथ हृदयमंदिरे सद्भावांचीच भव्य दिव्य आगरे रत्नां वा मौक्तिकांहि मूल्य मुळी नुरे रमणईची कूस जिथे नृमणिखनि ठरे शुद्ध तिचे शीलहि उजळवि गृहा नग्न खड्ग करि, उघडे बघुनि मावळे चतुरंग चमूचेही शौर्य मावळे दौडत चहुकडुनि जवे स्वार जेथले भासति शतगुणित जरी असति एकले यन्नामा परिसुनि रिपु शमितबल अहा विक्रम वैराग्य एक जागि नांदती जरिपटका भगवा झेंडाहि डोलती धर्म-राजकारण समवेत चालती शक्तियुक्ति एकवटुनि कार्य साधिती पसरे यत्कीर्ति अशी विस्मया वहा गीत मराठ्यांचे श्रवणी मुखी असो स्फूर्ति दीप्ति धृतिहि जेथ अंतरी ठसो वचनि लेखनीहि मराठी गिरा दिसो सतत महाराष्ट्रधर्म मर्म मनि वसो देह पडो तत्कारणि ही असे स्पृहा This post has been edited by nahar: Aug 31 2009, 05:16 PM |
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